समाचार पत्र की आत्मकथा

आठवी कक्षा के बच्चों को आत्मकथा से अवगत कराने के लिए ‘समाचार पत्र की आत्मकथा’  नामक पाठ है  इसमें से बच्चों को अनेक जानकारियाँ प्राप्त होंगी । इससे बच्चे आत्मकथा और एकांकी के बीच का अंतर समझने के साथ वस्तुओं का अवलोकन करना भी सीखेंगे | 

कभी भी कोई भी वस्तु अपनी आत्मकथा को नहीं कह सकती मगर हर भाषा के भाषज्ञ भाषा द्वारा पाठकों को वस्तु के भाव को जागृत कराने के लिए कभी कभी इस तरह से दैनिक वस्तु में भी जान डाल देते हैं | इससे बच्चे उसका अस्तित्व जान सकते हैं | साथ ही साथ दैनिक  वस्तुओं को देखने का,  समझने का और अपनाने की तौर – तरीके भी बदल देगें |

जैसे – जैसे मनुष्य में आधुनिकता बढ़ती गई वैसे – वैसे समाचार पत्र की रूप –रेखा में बदलाव भी देखने को मिला | यह समाज की ऐसी कड़ी है रातों – रात इससे कोई भी बदलाव ला सकते हैं |         

ये बदलाव लाने के लिए इसके निर्माता की भूमिका बहु मुख्य है जैसे हमारी भावना को अभिव्यक्त करने के लिए लेखन भी एक साधन हैं| इन लेखनों को  किसी के स्वार्थ का ना  बनके समाज के लिए देश के लिए खड़ा रहके निष्पक्षपात से काम करना आवश्यक हैं | यह सब निर्माता के हाथों में होता हैं |

हम इस कार्यकलाप द्वारा बच्चों में सच्चे समाचार पत्र के निर्माता बनते हुए देख सकते हैं |

ये बच्चे समाज से जुड़े हर एक कड़ी को समझकर हिन्दी में अनुवादित करके अपने खुद के लिखावट से समाचार पत्र को सजाए हैं |

इससे उनमें भाषा कौशल और प्रस्तुतीकरण,  कलात्मक सजावट विभिन्न रीति की जोड़ आदि  कौशल्यों को बढ़ावा मिला है |  साथ ही यह बहुत ही खुशी की बात हैं कि अपने सहपाठियों की कमियों की सहारा भी बने हैं |   

विध्यार्थियों की ओर से

मुझे इस कार्यकलाप से बहुत सीख मिली है |  हमारी टोली के मेरे सब मित्र टोली के लिए बहुत श्रम से काम किया हैं | इस ‘समाचार पत्र’ कार्यकलाप से हमें सामन्य ज्ञान मिला और हिन्दी में कुछ नया और मानक शब्द सीखे हैं |  इस कार्याकलाप के लिए हम क्रियाशील से सोचने से हमारे मस्तिष्क की भूख मिठी | इससे हमारे ज्ञान की वृदधि हुई | हम इस सामाचार पत्र के लिए बहुत खुशी से काम किये और हमारा समाचार पत्र भी अच्छे से आया है |

सान्वी और टीम, आठवीं  कक्षा    

यह चटुवटिक से हम को बहुत कुछ सीख मिली | हम सब ने इससे सहनशीलता और परिश्रम का पाठ सीखे हैं | हम सब बच्चे आने वाले समाज का प्रमुख अंग हैं,  इसलिए हमें समाज के हर एक विभागों को जानना जरूरी है |  समाज की इन विभागों में समाचार पत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |  मैं बहुत खुश हूँ कि मैं और मेरे टीम इसके लिए बहुत परिश्रम किये हैं |   

कल्याण और टीम, आठवीं  कक्षा  

हमारे जीवन ही एक खेल है इसलिए हम पासा के खेल की नक्षा का उपयोग किए हैं| इस समाचार पत्र को हमारी पहचान नाम भी दिए हैं ।  हमारी पहचान इस दुनिया से हैं ,   इसलिए हमारा लांचन दुनिया और पुस्तक हैं | हमारी पहचान पंक्ति है – विषय हमारा ज्ञान तुम्हारा | अगर मैं,   सिर्फ मैं चटुवाटिका में भाग लेता तो इतना सुंदर का नहीं हो सकता था |  

– मन्वित  और टीम, आठवीं  कक्षा 

टोली में रहे सारे एक हो के एक दूसरे का साथ देकर टोली की मान बनाएँ रखे हैं |

इस कार्यकलाप में बच्चे बहुत ही स्पूर्थी से भाग लेने के साथ अपनी टोली के समाचार पत्र को रचनात्मक रीति से नाम भी दिए हैं | जैसे ‘वक्त के साथ’ ‘हमारी पहचान’ ‘बच्चों की सोच’ आदि रोचक नामों से अपनी अपनी पत्रिकाओं का प्रस्तुतीकरण किए | इन नामों को वे अपने जीवन के अनुभव की कड़ी मानते हैं | इनकी भाषा शिक्षिका होने के नाते मैं बहुत ही गौरव महसूस करती हूँ |

बिन्दु अनंत, हिन्दी शिक्षिका

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